संस्कृत का अर्थ (The meaning of Sanskrit)

“संस्कृत” शब्द का अर्थ है संस्कार की गयी अर्थात परिमार्जित(सुधारी हुई भाषा). सम – भली प्रकार,कृत -बने गयी जो भाषा ,वह संस्कृत भाषा.

 महर्षि यास्क तथा आचार्य पाणिनी के समय में भी संस्कृत भाषा लोक भाषा थी ,किन्तु उस समय केवल इसके लिए “भाषा शब्द का प्रयोग होता था “संस्कृत” का नहीं. जब पाली एवं प्राकृत का व्यवहार बढ़ने लगा तथा अधिक प्रयोग होने लगाताब विद्वानों ने पाली और प्राकृत से इसकी विभिन्नता दर्शाने के लिए “संस्कृत” शब्द का प्रयोग आरम्भ किया.

महाकवि डंडी ने अपने “काव्यादर्श” नामक ग्रन्थ में लिखा है की “संस्कृतं नाम दैवी वाक् अन्वाख्यता महर्षिभिः ” अर्थात महर्षियों नें संस्कृत नाम की देव वाणी का अन्वाख्यान किया है. काव्यग्रंथों में सर्वप्रथम वाल्मीकि रामायण में भाषा के अर्थ में संस्कृत का प्रयोग दिखाई पड़ता है.

6 Comments »

RSS feed for comments on this post. TrackBack URI

  1. Do write what you feel about Sanskrit.Also tell whether you like it or not.

    • mujhe bhi sanskrit ek accha subject or ek acchi bhasa lagti he. yeh bhasa to devi devtao ki he isme hmari sanskriti chalakti hai. mujhe accha laga ki aj bhi kuch log is dev bhasha ko pasand krte hai.mene bhi apni school me sanskrit subject liya hai.

      • Hi Prinkita!
        Nice 2 see ur interest in Sanskrit. You are in which school/class? I wished to continue blogging in Sanskrit but studies didnt allow me…

  2. अच्छा लगा देव भाषा संस्कृत में आपका ब्लॉग देख कर । कहाँ से सीखी आपने ये भाषा ? और अगर हम जैसे लोग इसे सीखना चाहें तो क्या करना होगा ?

    • धन्यवाद. मैं अपने विद्यालय में संस्कृत सीख रहा हूँ. आजकल इन्टरनेट के इस युग में बहुत सारे लोग संस्कृत के प्रचार के लिए प्रसारयत हैं आप उनकी ब्लॉग से पढ़ सकते हैं संस्कृत की आप पुस्तकें खरीद सकते हैं जो बहुत ही उपयोगी होती हैं.मेरी इस ब्लॉग पर आपका सदा स्वागत है!

  3. SANSKRIT SE HI SANSKRUTI HAI SANSKRIT ME GAYAN HAI


Leave a comment

Blog at WordPress.com.
Entries and comments feeds.